लद्दाख में मुंह की खाने के बाद चालबाज चीन की अरुणाचल प्रदेश में नई चालबाजी आक्रमणकारी विस्तार वादी प्रोपेगेंडा वादी नीतियों के साथ चीन ने अगस्त 2019 के बाद भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साडे 4 किलोमीटर भीतर चोरी-छिपे 101 घरों का एक गांव बसा लिया है
बता दे ऊपर तस्वीर देख सकते हैं जिसमें आप के सामने दो तस्वीर है एक तस्वीर अगस्त 2019 की है दूसरी तस्वीर नवंबर 2020 की है फर्क दोनों में एक है अगस्त 2019 में वहां पर कोई निर्माण नहीं हुआ था। जबकि दूसरी तस्वीर यानी कि नवंबर 2020 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सुबनशिरी जिले के त्सारी चू नदी के किनारे पर 101 घरों का एक गांव बसा लिया है, आप बाकायदा तस्वीरों में देख सकते हैं इन घरों पर चीन के झंडे लगे हुए हैं इन घरों को भारत में ठेका देकर चीन से बनवाया नहीं है चीन ने भारत की सीमा के अंदर घुसकर साडे 4 किलोमीटर अंदर कब्जा जमा इसे राजनीतिक कब्जे के मंसूबे से बनाया है यह स्थान राजनीतिक व सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है यहां से वह अरुणाचल प्रदेश के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र पर नजर रख सकता है।
#अरुणाचल_प्रदेश में #चीन की नई चाल- #भारतीय सीमा के साडे 4 किलोमीटर अंदर घुस बसाया 101 घरों का गांव, सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा 2019 के बाद बसा गांव@PMOIndia @narendramodi ji तत्काल मामले की पुष्टि कर कड़ा कदम उठाने का कष्ट करें pic.twitter.com/UwnwiOsyjU
— vk gupta vishal (Reporter) (@vkguptavishal1) January 20, 2021
इस क्षेत्र को लेकर शुरुआत से ही विवाद है। यह भारत का हिस्सा है जबकि चीन इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। इस स्थान को सशास्त्र लड़ाई वाली जगह के तौर पर चिन्हित भी किया गया है यह गांव हिमालय के पूर्वी क्षेत्र में बनाया गया है।
तो सवाल है एक साल में ऐसी कौन सी हिम्मत मिली चीन को जो कई दशकों से उसके कंट्रोल में ज़मीन होने के बावजूद नहीं मिल पा रही थी?
वो ज़मीन आधिकारिक रूप से हमारी है, तो उस पर निर्माण चीन नहीं कर सकता था ये उसे पता है। लेकिन अभी इतनी हिम्मत कैसे मिल गई? #NDTV https://t.co/c4H3MPcD4n
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) January 19, 2021
बात करें भारत और चीन के बीच रिश्तो की तो लद्दाख के गलवान घाटी में जून 2020 में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए जबकि चीन ने इस मामले में अपना कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं जारी किया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन के 35 से 40 जवान इस संघर्ष में मारे गए थे फिलहाल भारत और चीन के बीच विवाद को हल करने के लिए कई दौर की बातचीत हुई। लेकिन पहले की भांति उनका कोई हल नहीं निकला।
बता दे नंबर 2020 में सैटेलाइट तस्वीरों के बाद अरुणाचल प्रदेश से बीजेपी के सांसद तपिर गाव ने अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने इसी स्थान यानी शुबनशिरी जिले का जिक्र भी किया था। वहीं जानकारी के मुताबिक इन स्थानों पर अभी भी कार्य चल रहा है नदी के किनारे इलाकों में चीन कम से कम 60 से 70 किलोमीटर भारतीय सीमा के अंदर घुस आया है यहां पर चीन एक रोड भी बना रहा है।
चीन द्वारा अपनी विस्तार वादी मंसूबों के कारण दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन किया है एक बात साफ है कि चीन ने कोई भी चालबाजी व निर्माण 1 दिन में नहीं किया था सन 2000 के बाद से धीरे-धीरे चीन ने इन क्षेत्रों में अपनी पोजीशन बनानी शुरू कर दी। 2014 के बाद से भारत में सीमावर्ती क्षेत्रों पर पैनी नजर के साथ अपनी भी चौकसी बढ़ाई है इससे पहले चीन ने ओल्डी बैग पर कब्जे का इरादा किया जिसके बाद डोकलाम, गलवान और अब अरुणाचल प्रदेश के इस क्षेत्र में चीन द्वारा बार-बार अपनी विस्तार वादी चाल के द्वारा खतरनाक इरादे पेश किए जा रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश पर चीन की शुरुआत से ही विस्तार वादी नजर है वह साम दाम दंड भेद कर हर pregnant Vadi तरीके से अरुणाचल प्रदेश पर बार-बार बिना भारत की अखंडता एकता की परवाह किए अपनी नजर तिरछा करता रहा है।
अरुणाचल प्रदेश में चीन की चाल पर #शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रक्षा मंत्री @rajnathsingh और विदेश मंत्री @DrSJaishankar को पत्र लिखकर कहा,चीन ने #अरुणाचल प्रदेश में जो गाँव बसाया है उसकी सच्चाई देश को बताए, @priyankac19@ShivSena@PMOIndia @narendramodi ji pic.twitter.com/CCSkEoZpDW
— vk gupta vishal (Reporter) (@vkguptavishal1) January 20, 2021
रणनीति के तहत चीन बना रहा 600 बॉर्डर डिफेंस बिलेज
बता दे विस्तार वादी चीन ने एक रणनीति के तहत भारत के अरुणाचल प्रदेश में एक आधुनिक गांव बसा लिया है यह गांव भारत की सीमा के सारे 4 किलोमीटर अंदर बना है जानकारी के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति के आदेश पर चीन में 600 गांव का निर्माण किया गया है इन 600 गांव के पीछे सामरिक दृष्टि से चीन की एक कुटिल चाल छिपी हुई है जहां पर भारत की सीमा के अंदर चीन ने इस गांव का निर्माण किया है वह अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनशिरी जिले में आता है आप तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते हैं चीन ने लगभग सभी घर दो मंजिलें बनाए हैं कई में तीसरा मंजिल भी नजर आ रहा है यह घर संख्या में 101 हैं इसके पीछे भी चीन की कोई रणनीति हो सकती है, प्रत्येक घर में चीन का झंडा लगा हुआ है।
भारत के रक्षा सूत्रों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के इस इलाके पर चीन 1959 से कब्जा किए हुए हैं यहां पर समुद्र तल से करीब 27 सौ मीटर ऊपर स्थापित इस क्षेत्र में कुछ समय पहले से चीन की एक सैन्य चौकी स्थापित थी चीन ने डोकलाम में हुए विवाद के बाद अपनी गतिविधियां और अरुणाचल प्रदेश में सतर्कता क्षेत्र में बढ़ा दी हैं या वही स्थान है जहां 1959 में असम राइफल्स को हटाकर इस इलाके पर चीन ने कब्जा कर लिया था जिसके बाद से यह क्षेत्र अभी भी चीनी नियंत्रण में है। वहीं सेना के सूत्रों के मुताबिक चीन धीरे-धीरे इस विवादित इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। 1962 की लड़ाई होने के बाद चीनी सेना इस इलाके से पीछे चली गई थी अक्साई चीन व अरुणाचल प्रदेश में वह अभी भी बन हुआ है। इस समय के ताजा घटनाक्रम होने से पहले 1990 के दशक में चीन ने इस क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया 2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हरकत में आए और उन्होंने तिब्बत में बॉर्डर डिफेंस गांव बनाने की शुरुआत की, जिसके बाद एक-एक कर ऐसे गांव बनने लगे इसके पीछे एक कारण और बताया जाता है कि चीन अपनी कम्युनिस्ट सत्ता को बरकरार रखने के साथ ही तिब्बत में दलाई लामा समर्थकों पर नजर रख चीन इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।
चीन घुसा भारतीय सीमा में,
—4.5 किलोमीटर अंदर बसाया गांव;मोदी सरकार की अक्षमता और ध्यान भटकाने की राजनीति का अब भारत को बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है। चीन ने भारतीय सीमा में गाँव बसाकर 101 घर भी बना लिये हैं।
मोदी जी,
आपने सब बर्बाद कर दिया।“निकम्मी और नकारा सरकार” pic.twitter.com/apFquZ9Oqj
— MP Congress (@INCMP) January 19, 2021
बता दे लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चोरी-छिपे चीन धीरे धीरे भारत की जमीन हड़पने की रणनीति के तहत चालबाजी से भारती जमीन के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर धीरे-धीरे कब्जा कर रहा है हमारी सरकारों के साथ मीडिया में भी चीन के कब्जों की खबरें भी लगभग गायब होती जा रही हैं चीनी राष्ट्रपति ने तिब्बत में बॉर्डर डिफेंस विलेज बनाने की शुरुआत की गई है।
तिब्बती संगठनों का इस मामले पर कहना है कि चीनी राष्ट्रपति का गांव बसाने का मकसद तिब्बत और उसकी दुनिया के बीच एक ऐसा सुरक्षा बैरियर बनाना है जो कोई भी न भेद सके यही माना जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश में बसाया गया यह नया गांव चीन के उसी प्रोपेगेंडा वादी नियति का हिस्सा हो। इन गांव को बसाने का चीन का दूसरा मकसद है कि वह तिब्बत से जुड़े इलाकों व तिब्बतियों पर अपनी नजर के साथ पकड़ मजबूत कर सामरिक दृष्टि से पकड़ मजबूत रख सकें।
अरुणाचल प्रदेश में चीन की नीतियों के चलते उपजे विवाद में विदेश मंत्रालय के मुताबिक पिछले कई वर्षों से ऐसे निर्माण की गतिविधियां चीन द्वारा संचालित की गई है उसके बदले में सरकार ने भी सड़क पुल के निर्माण समेत सीमा पर बुनियादी संरचना का निर्माण तेज कर दिया है जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली स्थानीय आबादी को अति आवश्यक संपर्क व सुविधा मिली है। बता दे भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा जिसे एमएलएसी के नाम से जानते हैं को लेकर विवाद है चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है वही भारत द्वारा लगातार चीन के दावे को खारिज किया जाता रहा है अब चीन ने अवैध तरीके से भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ करनी शुरू कर दी है जिसमें भारत सरकार द्वारा सख्त लहजे में चेतावनी के साथ कार्यवाही की जरूरत है भारत इस मामले में सोच समझ रणनीतिक कूटनीतिक तरीके से जिस प्रकार समझे चीन को अपने विशेषज्ञों के द्वारा जवाब दे ताकि भारतीय क्षेत्रता एकता अखंडता की सुरक्षा हो सके।
Planet lab की तस्वीरों के मुताबिक़ #चीन ने हमारे अरुणांचल प्रदेश में सीमा से लगभग 4km अंदर एक गाँव बना लिया है?
पहले #लद्दाख़ और अब #अरुणांचल ? सरकार जवाब देगी?
क्या हमारी सीमा सुरक्षित हैं?
Source NDTV pic.twitter.com/BfxDUgRmcH— SHIVANI VERMA (@ShivaniV2901) January 19, 2021
भारत को इस मामले में राजनीति से अलग हटकर देश के सभी राजनीतिक सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विशेषज्ञों राजनेताओं से सलाह मशवरा कर चीन को उसी की भाषा में जवाब दे, जिसकी जरूरत है बाकी विशेषज्ञ खुद समझदार है।
शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री को पत्र लिखकर कहा, चीन ने अरुणाचल प्रदेश में जो गाँव बसाया है उसकी सच्चाई देश को बताए पढेें पत्र में क्या है।
विशाल गुप्ता की रिपोर्ट